Sunday, September 11, 2011

दो गज़लें

राजेंद्र वर्मा की गज़लें

एक
चंदनी चरित्र हो गया,
मैं सभी का मित्र हो गया

ज़िन्दगी संवर गयी मेरी,
फूसे मैं त्र हो गया

रश्मियों के नैन हैं सजल,
इन्द्रधनु सचित्र हो गया

आदमी करे तो क्या करे,
वक़्त ही विचित्र हो गया

कामना की पूर्ति हो गयी,
मन मेरा पवित्र हो गया

आत्मा विदेह हो गयी,
पंचतत्व चित्र हो गया.

दो
मेरा अनाdi काल से कण-कण में वास है,
पर दृश्यमान हूँ उसे जिसमे उजास है

यद्यपि समुद्र और बूँद हैं पृथक-पृथक,
फिर भी समुद्र बूँद में करता प्रवास है

मेरी सदैव दैन्य से प्रगाढ़ता रही,
स्वर्गिक विलासिता मुझे आती रास है

तू जिस अनाम के लिए व्याकुल रहा सदैव,
तुझमे ही बैठा ले रहा वो उच्छ्वास है

स्वीकारता है क्यों तू परिस्थिति की दस्ता,
जब मुक्ति का उपाय भी तेरे ही पास है

तेरे तो हाथ कर्म है, परिणाम तो नहीं,
जो होना था सो हो गया, फिर क्यों u

Saturday, August 13, 2011

अविरल मंथन के बारे में

'अविरल मंथन' राजेंद्र वर्मा के संपादन में पहले त्रेमासिक प्रकाशित होती थी (१९९६ से २००० तक) , पर बाद में कतिपय कारणों से वार्षिक हो गयी। २००३ से इसका प्रकाशन स्थगित है।
पत्रिका में हिंदी साहित्य की सभी विधाओं की रचनाएँ प्रकाशित होती थीं-- कहानियां, गीत, गज़लें, दोहे, कविताएँ, हाइकू, समीक्षाएं आदि। इसके कहानी, गज़ल, गीत लघुकथा और हाइकू विशेषांक खूब चर्चित हुए।
'अविरल मंथन' में देश के प्रमुख रचनाकारों के साथ-साथ नए रचनाकार भी प्रकाशित हुए हैं। चर्चित रचनाकारों में, पद्मविभूषण नीरज, पद्मश्री चिरंजीत, पद्मविभूषण श्रीलाल शुक्ल, प्रो.सिन्दूर, नीलम श्रीवास्तव, चंद्रसेन विराट, अदम गोंडवी, निदा फाजली, क्रिश्नाविहारी नूर, वाली आसी, मुनव्वर राणा, कुंवर बेचैन, शिवओम अम्बर, अशोक अंजुम, महेश कटारे, शिवमूर्ति, अमरीकसिंह दीप, शंकर पुड़ताम्बेकर, कमल चोपडा, सुकेश साहनी, रमाकांत श्रीवास्तव, भगवतशरण अग्रवाल, सुधा गुप्ता, उर्मिला कॉल, डॉ.सुरेन्द्र वर्मा आदि ।

Friday, August 12, 2011

मौलिक रचनाओं का स्वागत

'अविरल मंथन' में आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। लघु कलेवर की गद्य रचनाओं एवं छांदस कविताओं को प्राथमिकता दी जायेगी। विधा विशेष में सृजित रचनाओं में शिल्प का अनुशासन होना चाहिए। मुक्तछंद रचनाओं में लय उपस्थिति अनिवार्य है। उद्धरण संदर्भित होने चाहिए। रचनाकारों का पूरा पता भी अनिवार्य है। रचना-प्रकाशन पर कोई पारिश्रमिक देय नहीं होगा। अपनी रचनाएँ Arial Unicode font में rajendrapverma@gmail.com पर भेजें.